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मेरे मेहबूब मेरे मेहबूब से मिलता है गुलों को रंग

मेरे मेहबूब


मेरे मेहबूब से मिलता है गुलों को रंग,
वो हँस दे तो बागों में बहार आती है ।
उसके इशारे से ही खिलते हैं गुलाब,
वो कह दे तो तितलियां हज़ार आती हैं ।

दुपट्टा लहराये तो फलक पे अभ्र छा जाए, 
हों गर उदास तो ही बरसात आती है ।
उसके रंगों से है फ़लक का शफ़क़ आलूद,
उसकी मुस्कान इसमें ख़म-ए-कमान लाती है ।

वो जागे, दुनिया को नूर-ए-आफताब मिले,
उसके सोते ही काएनात में रात आती है ।
मेरे ख़्वाब-ओ-ख़्याल का माहताब है वो,
हो रूबरू तो मेरी जान में जान आती है ।

©Sameer Kaul 'Sagar' #ishq #urdu #poetry #ghazal #love #Judaai #pyaar #alone  #sameerkaulsagar #Mehboob
मेरे मेहबूब


मेरे मेहबूब से मिलता है गुलों को रंग,
वो हँस दे तो बागों में बहार आती है ।
उसके इशारे से ही खिलते हैं गुलाब,
वो कह दे तो तितलियां हज़ार आती हैं ।

दुपट्टा लहराये तो फलक पे अभ्र छा जाए, 
हों गर उदास तो ही बरसात आती है ।
उसके रंगों से है फ़लक का शफ़क़ आलूद,
उसकी मुस्कान इसमें ख़म-ए-कमान लाती है ।

वो जागे, दुनिया को नूर-ए-आफताब मिले,
उसके सोते ही काएनात में रात आती है ।
मेरे ख़्वाब-ओ-ख़्याल का माहताब है वो,
हो रूबरू तो मेरी जान में जान आती है ।

©Sameer Kaul 'Sagar' #ishq #urdu #poetry #ghazal #love #Judaai #pyaar #alone  #sameerkaulsagar #Mehboob