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प्यासी पथराई भू पर अमृत की बूंदों के झरने से निष्

प्यासी पथराई  भू पर अमृत की बूंदों के झरने से निष्प्राण प्राणियों में चेतना लौट आती है  चाहे वह बारिश की बूंदे हो या वाणी की मधुरता दोनों  ही शीतलता और समरसता के पर्याय होते हैं

©Sudha Tripathi
  #Quotocontest CHOUDHARY HARDIN KUKNA Dheeraj Bakshi  Pankhudi  Prashant Shakun "कातिब" Divya Joshi