कि लाख अंकुश सहे इस मृदुल काठ पर,बंदीसे कब निभी मेरे जज्बात पर,आपने पर मुझे बेवफा जब कहा,आँख नम हो गई आपकी बात पर।✍️✍️✍️😭😭😭 ©प्रभाकर अजय शिवा सेन कि लाख अंकुश सहे इस मृदुल काठ पर। #roseday