पुराने दिनों में घर में भी अजीब रिश्ता था दरवाजे आपस में गले लगते थे अब तो दरबाजा भी अकेला हो गया है .......।...... "पुराने दरवाजे टकराते थे फिर भी बंद हो जाते थे खुलते साथ-साथ थे दरवाजे बंद भी साथ-साथ होते थे दरवाजे अगर एक दरवाजा खुल जाता था तो एक तो बंद रहता था जब से अकेला हुआ है दरवाजा खुला तो खुला रह गया दरवाजा बंद हुआ तो बंद रह गया दरवाजा" ©कवि- जीतू जान #MomentOfTime a