अपनी आँखों से कुछ कह कर चले गए चोट दिल पर लगी तो सह कर चले गए बारिसों की मौसम थी बरसात बहुत हुई यादों की बारिस में यादे बह कर चले गए चले थे साथ मेरा साथ निभाने के लिए थोड़ी देर में ही साथ निभा कर चले गए यूँ तो कई बार मुलाक़ातें हुई उनसे मेरी हर मुलाक़ात को वो भुला कर चले गए हवाओं की गुस्ताख़ीयाँ देखो तो जरा चिंगारी को कैसे शोला बना कर चले गए ©prakash Jha अपनी आँखों से कुछ कह कर चले गए चोट दिल पर लगी तो सह कर चले गए बारिसों की मौसम थी बरसात बहुत हुई यादों की बारिस में यादे बह कर चले गए चले थे साथ मेरा साथ निभाने के लिए थोड़ी देर में ही साथ निभा कर चले गए