बदन का बोझ बढ़ता जा रहा है रूह पीछा छुड़ाना चाहती है मुझ से मौत का रिश्ता है कैसा मुझी में क्यों उतरना चाहती है हुश्न है ख़ूबसूरत उसका सो वो सभी से दिल लगाना चाहती है मेरी मय्यत पे आकर के रुदाली रुबाई गुनगुनाना चाहती है मुश्किलों ने है पाला बेटे जैसे मौत दूल्हा बनाना चाहती है है मुझसे दूर जा रही वो क्योंकि मुझे क़ाबिल बनाना चाहती है निकाल उलझनों से सकती है जो फंसाना भी तुम्हे वो जानती है किए सब फैसले बच्चों ने और फ़िर माँ से पूछा कि माँ क्या चाहती है ज़ख़्म कुम्हार है वो जो कि हमको उम्दा , आला बनाना चाहता है समझती दुनिया मुझको है कोई जिन मुझ से सब कुछ कराना चाहती है ©Vikrant Kumar #Dark #gaalib #ghazal #urduadab #Dukhishayari #khudsozi #nojohindi #beher #Shayar