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बदन का बोझ बढ़ता जा रहा है रूह  पीछा  छुड़ाना  चाहती

बदन का बोझ बढ़ता जा रहा है
रूह  पीछा  छुड़ाना  चाहती  है 

मुझ से मौत का रिश्ता है कैसा 
मुझी में क्यों उतरना चाहती है 

हुश्न है ख़ूबसूरत उसका सो वो
सभी से दिल लगाना चाहती है 

मेरी मय्यत पे आकर के रुदाली
रुबाई   गुनगुनाना   चाहती   है 

मुश्किलों  ने  है पाला बेटे जैसे 
मौत  दूल्हा  बनाना  चाहती  है 

है मुझसे दूर जा रही वो क्योंकि  
मुझे  क़ाबिल  बनाना चाहती है 

निकाल उलझनों से सकती है जो
फंसाना  भी  तुम्हे  वो  जानती  है 

किए सब फैसले बच्चों ने और फ़िर
माँ  से  पूछा  कि माँ क्या चाहती है 

ज़ख़्म कुम्हार है वो जो कि हमको
उम्दा  , आला  बनाना   चाहता  है 

समझती दुनिया मुझको है कोई जिन
मुझ  से  सब  कुछ  कराना चाहती है

©Vikrant Kumar #Dark #gaalib #ghazal #urduadab #Dukhishayari #khudsozi #nojohindi #beher #Shayar
बदन का बोझ बढ़ता जा रहा है
रूह  पीछा  छुड़ाना  चाहती  है 

मुझ से मौत का रिश्ता है कैसा 
मुझी में क्यों उतरना चाहती है 

हुश्न है ख़ूबसूरत उसका सो वो
सभी से दिल लगाना चाहती है 

मेरी मय्यत पे आकर के रुदाली
रुबाई   गुनगुनाना   चाहती   है 

मुश्किलों  ने  है पाला बेटे जैसे 
मौत  दूल्हा  बनाना  चाहती  है 

है मुझसे दूर जा रही वो क्योंकि  
मुझे  क़ाबिल  बनाना चाहती है 

निकाल उलझनों से सकती है जो
फंसाना  भी  तुम्हे  वो  जानती  है 

किए सब फैसले बच्चों ने और फ़िर
माँ  से  पूछा  कि माँ क्या चाहती है 

ज़ख़्म कुम्हार है वो जो कि हमको
उम्दा  , आला  बनाना   चाहता  है 

समझती दुनिया मुझको है कोई जिन
मुझ  से  सब  कुछ  कराना चाहती है

©Vikrant Kumar #Dark #gaalib #ghazal #urduadab #Dukhishayari #khudsozi #nojohindi #beher #Shayar