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मेरे लिखे पत्र वो सारे प्रेम पत्र,बड़ी हिम्मत करक

मेरे लिखे पत्र

वो सारे प्रेम पत्र,बड़ी हिम्मत करके
कई प्रयासों के बाद,जो मैंने लिखे थे
जमाने से छुपा कर,एक एक शब्द को
अपने प्यार में भिगोकर,जो मैंने लिखे थे
अपने सपनों की दुनिया,मेरा वो ख्वाब महल
सब उन पत्रों में था,जो मैंने लिखे थे
मेरी ख्वाहिशें ,तेरी शरारते,पत्रों में उकेर रखा था
जो मैंने लिखे थे,जो मुझे याद था
जितना मैं समझ सका,जो पहुंचे नहीं तुम तक
जो मैंने लिखे थे,डाकखाने तक नहीं पहुंचे
तुम्हारे हाथ नहीं लगे,तुम्हें खबर भी नहीं हुई
जो मैंने लिखे थे,जो सदियों से पड़े थे
मेरी अलसाई तकिए के नीचे,जिस तक कोई ना पहुंचा
जो मैंने लिखे थे,जो हर बरसात में सुरक्षित थे
मौसम की मार नहीं देखी,आंसुओं से कल रात भीग गए
वो सारे प्रेम पत्र,जो तुम्हारे लिए
मैंने लिखे थे

©पूर्वार्थ
  #पत्र