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कोई दुआ तो कोई दवा लिखता है कहीं न कहीं जीने की वज

कोई दुआ तो कोई दवा लिखता है
कहीं न कहीं जीने की वजह लिखता है
टूट कर बिखरता है जब भी ये दिल
झूठी ही सही जीने की एक रज़ा लिखता है

©Bhupendra Rawat
  कोई दुआ तो कोई दवा लिखता है
कहीं न कहीं जीने की वजह लिखता है
टूट कर बिखरता है जब भी ये दिल
झूठी ही सही जीने की एक रज़ा लिखता है

कोई दुआ तो कोई दवा लिखता है कहीं न कहीं जीने की वजह लिखता है टूट कर बिखरता है जब भी ये दिल झूठी ही सही जीने की एक रज़ा लिखता है #शायरी

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