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तन्हाई, अपने आप से मिलाती है। तुम्हें अकेले में भी

तन्हाई, अपने आप से मिलाती है।
तुम्हें अकेले में भी जीना सिखाती है।
वह एहसास कराती है कौन जरूरी है?
क्या जरूरी है? इस जीवन में ।
पल-पल उसकी याद बन कर,
मुझे उससे मिलवाती है।
तन्हाई, बस मुझे अकेला कर जाती है ।

©मुसाफिर
  #अकेलापन