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छुप के घूंघट से देखा करो ना मुझे दिल के मंदिर में

छुप के घूंघट से देखा करो ना मुझे
दिल के मंदिर में घंटी सी बज जाती है
रोक पाता न घुघट हसी आपकी
मेरे धड़कन की रफ़्तार बढ़ जाती है
छुप के घूंघट ......
सुर्ख लब से निकलते सुरीले जो स्वर
राज़ दिल में जो है सारी कह जाती है
मैं तो प्यासा हूं बस एक दीदार को
बोल पाता नहीं दिल में रह जाती है
छुप के घूंघट......
रफ्ता रफ्ता गुजरता है जीवन का पल
बेबसी अश्क बनकर के बह जाती है
"सूर्य" ढलने को आया पर चाहत जवां
बात लब भी आकर सहम जाती है
छुप के घूंघट......

©R K Mishra " सूर्य "
  #घुघट Sethi Ji Ashutosh Mishra Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ Rama Goswami दिनेश कुशभुवनपुरी