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एकांत मुझे गमहीन करती है ये यादें भी अपनी अधीन

एकांत  मुझे  गमहीन  करती है
ये यादें भी अपनी अधीन करती है


पहले तुम, तुम्हारी यादें फिर आंसू आते हैं
यादें एक से दो, दो से तीन करती है


वक्त की चलनी से जब गुजरती हैं यादें
यादे भी अकेलेपन को महीन करती है


ये दूरियाँ भी दरारें बढ़ाने लगी है
नफासत भी इश्क की तौहीन करती है


मेरी तन्हाई में, तुम्हारी यादों की परछाई दिखती है
मोहब्बत ही है जो हमें  सीमाहीन करती है

©Anil Vikrant(baal kavi) 
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