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सुकूँ ए क़ल्ब होगा मिरे लिए गर आँख खुलते तिरा रु पु

सुकूँ ए क़ल्ब होगा मिरे लिए गर
आँख खुलते तिरा रु पुर-जोश मिले

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©Author kunal हल्क़ा-ए-आग़ोश मिले
तिरे निगाह में पाग़ोश मिले

आओ कभी नज्म़ ग़ज़ल बन कर
हसरत है अब आफ़ियत-कोश मिले

सुकूँ ए क़ल्ब होगा मिरे लिए गर
आँख खुलते तिरा रु पुर-जोश मिले
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Author kunal

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हल्क़ा-ए-आग़ोश मिले तिरे निगाह में पाग़ोश मिले आओ कभी नज्म़ ग़ज़ल बन कर हसरत है अब आफ़ियत-कोश मिले सुकूँ ए क़ल्ब होगा मिरे लिए गर आँख खुलते तिरा रु पुर-जोश मिले #Poet #lovequotes #kunu

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