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वो रुठना सीख़ गए हम मनना सीख़ गए, फर्क बस इतना रहा क

वो रुठना सीख़ गए हम मनना सीख़ गए,
फर्क बस इतना रहा कि वो रूठते रहे और 
हम मानते रह गए।।

गर वो रूठे हो तो माना भी लेते हम मगर,
वो तो रूठते रूठते दूर चले गए,,,
ओर हम बस मनाते मनाते रह गए।।।।

अब ज़रूरत नही है उन्हें हमारे मनाने कि
क्योंकि उन्हें मनाने वाले मिल गए,,,
ओर हम उनके इन्तज़ार में रह गए।।।।
वो रुठना सीख़ गए हम मनना सीख़ गए,
फर्क बस इतना रहा कि वो रूठते रहे और 
हम मानते रह गए।।

गर वो रूठे हो तो माना भी लेते हम मगर,
वो तो रूठते रूठते दूर चले गए,,,
ओर हम बस मनाते मनाते रह गए।।।।

अब ज़रूरत नही है उन्हें हमारे मनाने कि
क्योंकि उन्हें मनाने वाले मिल गए,,,
ओर हम उनके इन्तज़ार में रह गए।।।।