जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का
कभी कभी नम आंखे भी सब कुछ बयां कर जाती है
ज़ख्म होता है, लेकिन दर्द दिखता नहीं कभी
सिराहने में सारी रात दर्द में गुज़र जाती है
हँसता है जो नक़ाब पहनकर उजाले में
शब उसकी रोने में यूं ही गुज़र जाती है #शायरी#OneSeason