Nojoto: Largest Storytelling Platform

जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का कभी कभी न

जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का
कभी कभी नम आंखे भी सब कुछ बयां कर जाती है

ज़ख्म होता है, लेकिन दर्द दिखता नहीं कभी 
सिराहने में सारी रात दर्द में गुज़र जाती है

हँसता है जो नक़ाब पहनकर उजाले में
शब उसकी रोने में यूं ही गुज़र जाती है

हँस रहा है वो, आज अज़नबी बनकर
उसके दिल से पूछो ज़िंदगी कैसे बसर की जाती है

©Bhupendra Rawat जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का
कभी कभी नम आंखे भी सब कुछ बयां कर जाती है

ज़ख्म होता है, लेकिन दर्द दिखता नहीं कभी 
सिराहने में सारी रात दर्द में गुज़र जाती है

हँसता है जो नक़ाब पहनकर उजाले में
शब उसकी रोने में यूं ही गुज़र जाती है
जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का
कभी कभी नम आंखे भी सब कुछ बयां कर जाती है

ज़ख्म होता है, लेकिन दर्द दिखता नहीं कभी 
सिराहने में सारी रात दर्द में गुज़र जाती है

हँसता है जो नक़ाब पहनकर उजाले में
शब उसकी रोने में यूं ही गुज़र जाती है

हँस रहा है वो, आज अज़नबी बनकर
उसके दिल से पूछो ज़िंदगी कैसे बसर की जाती है

©Bhupendra Rawat जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का
कभी कभी नम आंखे भी सब कुछ बयां कर जाती है

ज़ख्म होता है, लेकिन दर्द दिखता नहीं कभी 
सिराहने में सारी रात दर्द में गुज़र जाती है

हँसता है जो नक़ाब पहनकर उजाले में
शब उसकी रोने में यूं ही गुज़र जाती है

जरूरी नही की शब्दों में इज़हार हो इश्क़ का कभी कभी नम आंखे भी सब कुछ बयां कर जाती है ज़ख्म होता है, लेकिन दर्द दिखता नहीं कभी सिराहने में सारी रात दर्द में गुज़र जाती है हँसता है जो नक़ाब पहनकर उजाले में शब उसकी रोने में यूं ही गुज़र जाती है #शायरी #OneSeason