*फूलों का एक गुलदस्ता* नियत साफ़ हो न हो पर इन्सानियत तू दिखा देना । एक मां का खून हैं तू वतन के लिए परचम लहरा देना । जाति पाती का भेद न करना भुखों की भुख मिटा देना। राम रहीम के इस वतन में इन्सानियत का राह बता देना। सच्चाई की ढाल बनकर बुराई को मिटा देना । खुद आंखों में आसूं भरना पर किसी का दिल न दुखा देना। जन जन के जख्मों को भर कर सोने सा चमका देना । मजहब की दीवार तोड़ कर जन्नत कि राह दिखा देना। एक नये युग का मसीहा बन कर सबके सपनों को सजा देना । इन रंग बिरंगे फूलों से तुम एक गुलदस्ता सजा देना । दीपिका बिट्टू🥰 #Man फूलों का गुलदस्ता