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घने मेघ मन अम्बर पर घिरे। गर्जन में संदेसा विशेष ल

घने मेघ मन अम्बर
पर घिरे।
गर्जन में संदेसा
विशेष लिए।
सूरज छुपा है,
पर छाँव की
रंगत अलग - सी!
लुभा रही मन को
  दिशा सलिल की।
ताप अधिक, चित्त विचलित
 कि चंद बूँदे
संग लेकर,
  बरखा है उतरी।
हरित पल्लव, सुन्दर धरा
  और रंग जाने कितने
ही खिल उठे हैं
  इंद्रधनुषी!
झूमता है सब,
  शीतल पवन, शीतल मन..
नव आरम्भ! .. आरम्भ!🌼
..
#yqdidi
#yqpoetry
#augustpoem
 #200quotes
घने मेघ मन अम्बर
पर घिरे।
गर्जन में संदेसा
विशेष लिए।
सूरज छुपा है,
पर छाँव की
रंगत अलग - सी!
लुभा रही मन को
  दिशा सलिल की।
ताप अधिक, चित्त विचलित
 कि चंद बूँदे
संग लेकर,
  बरखा है उतरी।
हरित पल्लव, सुन्दर धरा
  और रंग जाने कितने
ही खिल उठे हैं
  इंद्रधनुषी!
झूमता है सब,
  शीतल पवन, शीतल मन..
नव आरम्भ! .. आरम्भ!🌼
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