خدا "अर्जी" ======== क्यों भटक रहा हूँ मै दर-दर रब की सभी चौखट पर तो मेरी अर्जी खारिज हो गई... फिर क्यों ये बार-बार उसी रब पर भरोसा कर लेता हैं,, कोई ओर दर हो तो हम वहाँ भी चले जाते.. बस! मेरी अर्जी की कहीं तो सुनवाई हो जाए... क्या रब मेरी अर्जी को पूरी नही कर सकता हैं.... या रब मेरे ही सब्र की परीक्षा ले रहा हैं... अब तो ऐ खुदा ऐसा न कर कुछ ही रहमत कर ले,, मेरी अर्जी को भी तू सुन ले...... Geeta Sharma pranay arzi