नदियाँ, नाले और पहाड़ ... पुरुष, स्त्रियाँ, नदी, नाले और पहाड़ नाले गंदे है यहां पर बाकी सब पवित्र है पुरुष पहाड़ होते हैं स्त्रियां नदी होती है | अच्छे पुरुष के सीने पर विराजमान होती है स्त्रियां जैसे पवित्र पहाड़ों से निकलती है नदियाँ भिन्न भिन्न स्वरों में गाती हुई गीत अपनी मदमस्त लय में संचती है धरती का सीना अपने पुत्र पुत्रियों की तरह पालती है अपने आंचल में अनेकों संतानों को |