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रोज नया अफ़साना लिखता हूँ पुराना फ़साना भूल जाने

रोज नया अफ़साना लिखता हूँ 
पुराना फ़साना भूल जाने को ।। 

कल से बेहतर दिखना चाहता हूँ 
बेचैनीयाँ अपनी दूर रखने को ।।

आया हैं हूनर मुझे बेवजह झूकता हूँ 
तकलीफ ना हो गलती से भी किसी को ।। 

हर रोज घुटन सी महसूस करता हूँ 
बात जुबाँ पे आये के न आने को ।। 

तनहाई की लगन को दूर रखता हूँ 
आता हूँ महफ़िल में तेरी बैठ जाने को ।।

©Subodh Joshi
  लगन
subodhjoshi7932

Subodh Joshi

New Creator

लगन #शायरी

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