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नजरिया और सोच अपने अंदर खोज! जिसे हर जगह डाग दिखत

नजरिया और सोच अपने अंदर खोज!

जिसे हर जगह डाग दिखते हैं
उसके चश्मे पर डाग होते हैं

उसे हर मार्ग के कांटे नजर आते हैं
जो बिना चप्पल के चलता है

जिसे हमेशा बदबू आती है
उसकी नाक गंदी होती है

डाग अगर चश्मे पर हो
तो चश्मा बदलकर कर देखो यारों

काटे तो बहुत है रास्ते पर
चप्पल पहन कर चला करो

अगर बदबू आती है, हर जगह से
खुद पर पहले झाड़ू मारो

जिंदगी अच्छी नहीं लगती क्या?
नजरिया बदल कर देखो यारो

मुश्किलें तो बहुत है, मंजिल के पथ पर
हिम्मत के बल पर कुचला करो

भले ही जहन्नुम हो संसार सारा
जन्नत का इत्र तुम लगाया करो नजरिया और सोच अपने के अंदर खोज

प्रतिक पाटील प्रस्तुत पहली हिंदी गजल

#गजल  
#1patu #yqdidi
नजरिया और सोच अपने अंदर खोज!

जिसे हर जगह डाग दिखते हैं
उसके चश्मे पर डाग होते हैं

उसे हर मार्ग के कांटे नजर आते हैं
जो बिना चप्पल के चलता है

जिसे हमेशा बदबू आती है
उसकी नाक गंदी होती है

डाग अगर चश्मे पर हो
तो चश्मा बदलकर कर देखो यारों

काटे तो बहुत है रास्ते पर
चप्पल पहन कर चला करो

अगर बदबू आती है, हर जगह से
खुद पर पहले झाड़ू मारो

जिंदगी अच्छी नहीं लगती क्या?
नजरिया बदल कर देखो यारो

मुश्किलें तो बहुत है, मंजिल के पथ पर
हिम्मत के बल पर कुचला करो

भले ही जहन्नुम हो संसार सारा
जन्नत का इत्र तुम लगाया करो नजरिया और सोच अपने के अंदर खोज

प्रतिक पाटील प्रस्तुत पहली हिंदी गजल

#गजल  
#1patu #yqdidi