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मुसाफ़िर हूँ चला जाऊँगा आज बाग़ों में खिल रहा हूँ

मुसाफ़िर हूँ चला जाऊँगा 
आज बाग़ों में खिल रहा हूँ 
कल यहीं बिखर जाऊँगा 
जाते-जाते महक जाऊँगा ।
🌸
न किसी से कोई शिकवा है 
न ही किसी से गिला करूँगा 
अगर  किसी को मुहब्बत है 
उसकी यादों में रह जाऊँगा । #बज़्म
मुसाफ़िर हूँ चला जाऊँगा 
आज बाग़ों में खिल रहा हूँ 
कल यहीं बिखर जाऊँगा 
जाते-जाते महक जाऊँगा ।
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न किसी से कोई शिकवा है 
न ही किसी से गिला करूँगा 
अगर  किसी को मुहब्बत है 
उसकी यादों में रह जाऊँगा । #बज़्म