खार आँशूओं की जमती रहती है सतह-दर-सतह दिल यूँ ही पत्थर नहीं होता पारुल शर्मा खार आँशूओं की जमती रहती है सतह-दर-सतह दिल यूँ ही पत्थर नहीं होता पारुल शर्मा