Nojoto: Largest Storytelling Platform

शजर की टहनियों को चूमते वो पत्ते कि जिन पर बिछी ओस

शजर की टहनियों को चूमते वो पत्ते कि जिन पर बिछी ओस बादेसहर मे मेरे चेहरे को उसकी छीटों के लिवास मे छुआ करती हैं

तब उस वक्त मेरे जहन मे तुम्हारा खयाल आया करता है ,कितनी ही आदतें है तुम्हारी और उन ओस की बूँदों की जो एक दूजे से राब्ता रखती हैं
 
बड़ी ही सादगी से मेरी रुह को बताया करती हैं ।

 कि जिस कदर वो ओस की बूंदें हर रात अपना बसेरा करती हैं वहीं टहनियों को चूमते उन पत्तो पर रात भर

 वो वहां अकेले नही रहते उनके सफर मे हमसफर बन जाया करती हैं

 कितने ही किससे होंगे दिन रोज के जिन्हें वो भी कहना चाहते होंगे अपने किसी अजीज से उनका साथी बन कितने ही राज.मे उनके हमराज बन जाया करती है
आज यूँही जब सहर मे मै उस शजर की पनह मे गया था  मेरा ये तजुर्बा खुद अपने आप मे ही  बेहद नया था 
मै बेजुबान समझ उसको तबज्जो नहीं दे रहा था उस कदर मगर उस पर बसर करने वाला वो फरिश्ता कोई ,उन बूँदों के लिवास मे ताउम्र का बेहद खूबसूरत सबक देकर गया था 
मै तब से तुम्हें भी ओस की उन बूँदों सा मान बैठा हूँ ,अपनी जिंदगी को शजर जान किसी के आँगन का खुद को उस पर हर पहर चूमने वाला वो खुशनसीब पत्ता समझ  बैठा हूँ 
उस वक्त से तुम्हारी मौजूदगी की कमी इस हद तक चुभ रही है मेरे जहन मे कि मै रोशन रोशन होती इस फिजा के बाबजूद भी शमा के बुझने और रात के साये के इंतजार मे बैठा हूँ ।। #NojotoQuote
शजर की टहनियों को चूमते वो पत्ते कि जिन पर बिछी ओस बादेसहर मे मेरे चेहरे को उसकी छीटों के लिवास मे छुआ करती हैं

तब उस वक्त मेरे जहन मे तुम्हारा खयाल आया करता है ,कितनी ही आदतें है तुम्हारी और उन ओस की बूँदों की जो एक दूजे से राब्ता रखती हैं
 
बड़ी ही सादगी से मेरी रुह को बताया करती हैं ।

 कि जिस कदर वो ओस की बूंदें हर रात अपना बसेरा करती हैं वहीं टहनियों को चूमते उन पत्तो पर रात भर

 वो वहां अकेले नही रहते उनके सफर मे हमसफर बन जाया करती हैं

 कितने ही किससे होंगे दिन रोज के जिन्हें वो भी कहना चाहते होंगे अपने किसी अजीज से उनका साथी बन कितने ही राज.मे उनके हमराज बन जाया करती है
आज यूँही जब सहर मे मै उस शजर की पनह मे गया था  मेरा ये तजुर्बा खुद अपने आप मे ही  बेहद नया था 
मै बेजुबान समझ उसको तबज्जो नहीं दे रहा था उस कदर मगर उस पर बसर करने वाला वो फरिश्ता कोई ,उन बूँदों के लिवास मे ताउम्र का बेहद खूबसूरत सबक देकर गया था 
मै तब से तुम्हें भी ओस की उन बूँदों सा मान बैठा हूँ ,अपनी जिंदगी को शजर जान किसी के आँगन का खुद को उस पर हर पहर चूमने वाला वो खुशनसीब पत्ता समझ  बैठा हूँ 
उस वक्त से तुम्हारी मौजूदगी की कमी इस हद तक चुभ रही है मेरे जहन मे कि मै रोशन रोशन होती इस फिजा के बाबजूद भी शमा के बुझने और रात के साये के इंतजार मे बैठा हूँ ।। #NojotoQuote