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ना परवाह वक्त के इशारों की, ना किसी की नसीहत की ग़


ना परवाह वक्त के इशारों की, ना किसी की नसीहत की ग़ौरतलब, 
       वक़अत उसकी हम भी कैसे कर पाते, जो जब तक खो नहीं जाता,

वो जब रूबरू बैठे, तब थी उससे ज़रा बात करने की भी फ़ुर्सत नहीं,
   उन्हें ढूंढ़ते धकेले पड़े हैं अब ये जिस्म, जब तक थकके सो नहीं जाता,

छूट गया जो सुर्ख़ सच्चा उसका दिल, तो नदामत यही बाकी है,
       रहेगा भागता रगों में ये पागल लहू, जब तक ग़ुलाबी हो नहीं जाता,

बहला तो हम भी लें कुछ देर, ज़हन को यादों के खिलौनों से,
       दिल टूटके तो जुड़ जाएगा, ये दिल तोड़ने का ग़म है जो नहीं जाता,

माँगने माफ़ी इश्क़ के बाज़ार में, ख़ुदा ढूढ़ने को फिर हम निकले,
         क्या पता था के वो भी अब, उन मस्जिदों, उन मंदिरों नहीं जाता।


                                      - आशीष कंचन
 वक़अत = इज़्ज़त
नदामत = पश्चाताप

#नहींजाता #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi #yqlove #yqpain

ना परवाह वक्त के इशारों की, ना किसी की नसीहत की ग़ौरतलब, 
       वक़अत उसकी हम भी कैसे कर पाते, जो जब तक खो नहीं जाता,

वो जब रूबरू बैठे, तब थी उससे ज़रा बात करने की भी फ़ुर्सत नहीं,
   उन्हें ढूंढ़ते धकेले पड़े हैं अब ये जिस्म, जब तक थकके सो नहीं जाता,

छूट गया जो सुर्ख़ सच्चा उसका दिल, तो नदामत यही बाकी है,
       रहेगा भागता रगों में ये पागल लहू, जब तक ग़ुलाबी हो नहीं जाता,

बहला तो हम भी लें कुछ देर, ज़हन को यादों के खिलौनों से,
       दिल टूटके तो जुड़ जाएगा, ये दिल तोड़ने का ग़म है जो नहीं जाता,

माँगने माफ़ी इश्क़ के बाज़ार में, ख़ुदा ढूढ़ने को फिर हम निकले,
         क्या पता था के वो भी अब, उन मस्जिदों, उन मंदिरों नहीं जाता।


                                      - आशीष कंचन
 वक़अत = इज़्ज़त
नदामत = पश्चाताप

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