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Ashish Kanchan

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Ashish Kanchan

न भूलता आसमाँ कभी,
            मिल्कियत परवाज़ की,
                    गैरमौजूदगी हो बाज़ की,
                             तो बस कौवे उछलते हैं।

                                    - आशीष कंचन

 #sher #writing #poetry

#sher #writing poetry

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Ashish Kanchan

जंगल

सारी दुनिया है जंगल, खाने की होड़ में मगन,
शेर करे शिकार अगर, तो सौ गीदड़ पलते हैं।

पैने काँटों में छुपके, ज़हरीले डंक बिच्छू के,
गुलदस्ते लिए ग़ुलाब के, सब मुस्कुराके मिलते हैं।

निगाहें चौकन्नी कर, रख ली हैं बाहें मोड़कर,
लम्बी आस्तीनों में अक़्सर, छुपकर साँप डसते हैं।

दौड़ते कछुओं के सूबे, डुबाने के लिए मंसूबे, 
पानी में मगर मगर कब डूबे, बेकार ही मचलते हैं।

न भूलता आसमाँ कभी, मलकियत परवाज़ की,
बस गैरमौजूदगी हो बाज़ की, तो कौवे उछलते हैं। जंगल

Inspired by "It's a Jungle Out There" song written by Randy Newman 

#शायरी #poetry #life #world #shayari

जंगल Inspired by "It's a Jungle Out There" song written by Randy Newman #शायरी poetry life #world shayari

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Ashish Kanchan

है मेरा.....सब कुछ बस तू नहीं


छीन ले मेरे ख़ुदा मुझसे ज़मीं सारी पर दे दे जो फ़लक़ है मेरा,
है बड़ी मुश्किलों में दरिया-ए-इश्क़, सबर न जाने कब तक है मेरा।

कब कैसे गलत करार हुआ मोहब्बत में टूट के चाहना,
तू समझना समझ ले ग़ुनहगार ये महज़ मज़ाक नहीं इशक़ है मेरा।

न बिसात उस इश्क़ की जिसमें ना कर सकें उसकी वफ़ा पर यकीं,
है तय अब मुझे ही ले डूबेगा, इतना ख़ुदग़र्ज़ ये शक़ है मेरा।

दस्तक़ दे किराये के लिए, हर पहली तारीख़ दहलीज़ पे दर्द,
वहम ही था के तेरी इन यादों पे तो कम से कम कुछ हक़ है मेरा।

मत कर देर या तू पहले बाहें फैला के मुझे गले से लगा,
फैसला या ले जकड़ के दोनों हाथों से घोंट दे जो हलक़ है मेरा।
 है मेरा....सब कुछ बस तू नहीं


बह्र : 2222  2222  2222  212  212
       212  212  2222  2222  212  212
#ग़ज़ल #love #brokenheart #ghazal

है मेरा....सब कुछ बस तू नहीं बह्र : 2222 2222 2222 212 212 212 212 2222 2222 212 212 #ग़ज़ल love #brokenheart #ghazal

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Ashish Kanchan

कुछ देर बारिश का मौसम सा हुआ है आज,
हल्की ठंडी है हवा तो और खुश भी है मिज़ाज,
कड़क इस्त्री हुए तने सुफ़ेद कुरते को निकाल,
हम निकले कंघी फिराके, जो बचे हैं पाँच बाल,
ऊपर आसमाँ में बादलों की थी क्या ख़ूब बनावट,
हरे-भरे बाग़ में चिड़ियों की चकचक चहचहाहट,
सैर में कई ख़्याल लिए, सरपट चल पड़े क़दम,
कल की याद आगे-आगे और उसके पीछे हम,
ईंटों के थे रास्ते, कहीं थी कच्ची मिट्टी की डगर,
बादलों ने ज़रा मुँह भी खोला, हम चलते रहे मगर,
पूरा मुआयना करके हम मुस्कुराये बैठे पेड़ के पास में,
अंदर ही निकला तेरे, तू घूमता फिरे बाहर सुकून की तलाश में।
 हर रोज़ की जैसी एक सुबह...पर कुछ यादगार

#शायरी #life #happiness #peace #shayari

हर रोज़ की जैसी एक सुबह...पर कुछ यादगार #शायरी life #Happiness #peace shayari

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Ashish Kanchan

आये क्यूँ तेरी याद, इतने बरसों बाद।

शायद आज दिल ज़रा नाज़ुक होगा,
कुछ इस तरफ ज़ुल्फ़ों का रुख होगा,
खिली थी जो छुप के कड़ी धूप से बहार,
रात चाँदनी पड़ी जल के हो गई बरबाद।
आये क्यूँ तेरी याद, इतने बरसों बाद।

अनजान लोग तो इसे हादसा कहेंगे,
तेरा ज़िक़्र भी हुआ तो बेवफ़ा कहेंगे,
सजो के रखी भी जो हमने कहीं अग़र,
कुचले फूलों में कहाँ ही बचती है महकात।
आये क्यूँ तेरी याद, इतने बरसों बाद।
आये क्यूँ तेरी याद, इतने बरसों बाद।। 
 #shayari #love #memories #broken

shayari love #Memories #Broken

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Ashish Kanchan

आशियाँ

दुआओं की ईंटें लगी कहीं, लगी कहीं सपनों की लकड़ियाँ,
आज के दर पे खड़े, अब देखते हैं वो कल में खुलती खिड़कियाँ।
इंतज़ार की धीमी अंगीठी पे, जो बड़े नापतोल के पकी बिक्रियाँ,
तो शामिल हुए आज यहॉं, जो आये हैं उनका तहे दिल से शुक्रिया।
यहॉं ना कहीं दिल से मिलने वालों के लिए, कभी कोई कतार रहेगी,
लाख कोशिशों बाद भी जो ना आ सके, उनकी पार्टी उधार रहेगी।
फिर गिरेगी चिकन की ग्रेवी, तो कहीं पक्की यादों सी चिपकेगी दाल,
होंगे पर कम होंगे जिरह के पल, होगी यहॉं इश्क़ और यारी बेमिसाल।
कुछ नई कामयाबियाँ मिलेंगी, कुछ नई गलतियों का मौका होगा,
अब ये आशियाँ देगा उसकी गवाही, वक़्त ने जो भी आगे देखा होगा। #aashiyana #shayari #dilse #life 

मुद्दतों मेहनत के बाद आशियाँ बनता है, उसकी ख़ुशी कुछ अलग ही, तो अंदाज़ बयाँ करने का भी अलग होना चाहिए। यही सोचके लिखी ये शायरी -आशियाँ

#aashiyana shayari #dilse life मुद्दतों मेहनत के बाद आशियाँ बनता है, उसकी ख़ुशी कुछ अलग ही, तो अंदाज़ बयाँ करने का भी अलग होना चाहिए। यही सोचके लिखी ये शायरी -आशियाँ

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Ashish Kanchan

कुछ तो हो रहा है जो फ़िज़ाओं में अँगड़ायी है,
महक़ इन ग़ुलाबों ने यहाँ यूँ ही नहीं फैलायी है,
यारों की महफ़िल, बारिश, बिजलियाँ भी शामिल,
जश्‍न की हुई है तैयारी, फिर वो तारीख़ आयी है।
 #shayari #happybirthday #monsoon #rain
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Ashish Kanchan

सुने थे मुद्दतों बाद हुई मुलाक़ातों के, दिलों पे हुए असर के किस्से,
फ़िर गहरे होते बाद जिसके, ज़िन्दगी के वो कुछ हल्के होते हिस्से,
सब चेहरे थे वही, बाल थोड़े सफ़ेद, कुछ तज़ुर्बा था बस ज़रा ज़्यादा,
देख हमें वो मुस्कुराये ऐसे, मानो करके ही बैठे थे ख़ून बढ़ाने का इरादा,
इमारत थी नई, नई थी हर दीवार, पर दिलों में जज़्बात वही पुराना था,
भला कैसे गँवा देते ये मौक़ा हम, इस बात के लिए ही तो हमें यहॉं आना था,
भर ली हैं जेबें ढेरों चुनिंदा लम्हों से, वक़्त गुज़रेगा आगे कैसा, परवाह नहीं,
हैं इकट्ठा ऐसी यादों के छोटे पत्थर संदूक में, क़ीमती हीरों की हमें कोई चाह नहीं। बीते कल से हुई पिछली रात एक मुलाक़ात पर लिखे कुछ ख़्याल

बीते कल से हुई पिछली रात एक मुलाक़ात पर लिखे कुछ ख़्याल

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Ashish Kanchan

हिले पत्ता न हमें पुकारो तो, नाम तेरा हो रूह तड़पे,
हाय कैसा इश्क़ सौदा कर गुज़रे, बड़ी बइमानी में।
 #yqbaba #yqshayari #yqlove #yqlife
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Ashish Kanchan

कहें इश्क़ या कहें नादानी

मशवरा तो यूँ दिया था तूने, उस वक्त आसानी में,
तुझसे बेहतर मिलेगा कोइ, अब हमें आगे कहानी में।
पर कहीं और ये दिल लगाने को, हम कैसे ज़मात करते,
जब उबर ही ना सका, था टूटा इस कदर जवानी में।
ले लेता हर क़दम पर इम्तेहां, तू अपनी तसल्ली को,
हमने तो पहली मुलाक़ात से, ख़ाब देखे शेरवानी में।
धो लेते वो जो लगी थी कालिख़, तुझको ना पाने की,
कम्बख़्तों ने कीचड़ मिला के रखा था, पूरे पानी में।
नफ़रत ज़हन में रहे, पर ख़्याल-ए-सूरत पे आह न हो,
कैसे रख पायें भला, ये दो तलवार एक म्यानी में।
हिले पत्ता न हमें पुकारो तो, नाम तेरा हो रूह तड़पे,
हाय कैसा इश्क़ सौदा कर गुज़रे, बड़ी बइमानी में।
काश आगाह करता कोइ, लगाये क्या थे बाज़ी पे,
खामखाँ ये दिल गवाँ बैठे, हम इस ज़िद बचकानी में।
नीयत न थी तो, वक़्त रहते तभी ये दिल तोड़ देना था,
हम फ़क़त इंतज़ार को इश्क़ समझते रहे, नादानी में। बह्र - 2122   2122   2222   2222

कुछ ख़्याल, कुछ सवाल, कुछ गलतियाँ, कुछ ग़लतफ़हमियाँ - ऐसी बनायी थी हमने अपनी कहानी की सच्चाई। ख़ामी नहीं कहेंगे कोई, ना ही कह सकते हैं के बड़ा पक्का था, अब वक्त पे ही छोड़ते हैं क्या नाम रख्खें - कहें इश्क़ या कहें नादानी

#yqbaba #yqdidi #yqlove #ghazal #ग़ज़ल #yqshayari

बह्र - 2122 2122 2222 2222 कुछ ख़्याल, कुछ सवाल, कुछ गलतियाँ, कुछ ग़लतफ़हमियाँ - ऐसी बनायी थी हमने अपनी कहानी की सच्चाई। ख़ामी नहीं कहेंगे कोई, ना ही कह सकते हैं के बड़ा पक्का था, अब वक्त पे ही छोड़ते हैं क्या नाम रख्खें - कहें इश्क़ या कहें नादानी #yqbaba #yqdidi #yqlove #ghazal #ग़ज़ल #yqshayari

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