मेरी आबरु.... तेरे पास गिरवी रखीं हैं मेरे प्यार की आमानत के तौर पर... इसे संभालना, सँवारना तेरे ही.. हाथों मे हैं..... मेरी आँखों की... हय्या .... अब भी नजरों को ...किसी ओर.. लिए उठने नहीं देती.. जानता हैं दिल...... मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत.... तो तेरे पास ही हैं........ ये दिल भी मानता है..... कि तुम .. मेरे लिए कितने ....जरूरी हों.. इसलिए ये दिल ...भी तुम्हें... अपनी साँसों की ......गिनती मे.... रात-दिन समाएँ रहता हैं.... जैसे मेरे जिस्म.....मेरी रूह के तुम ही मालिक हो.... ओर बस ये तेरी ही.... हुकूमत से कहीं भी आता-जाता हैं... मेरी आबरु..... तेरे पास गिरवी रखीं हैं मेरे प्यार की आमानत के तौर पर.. | गीता शर्मा प्रणय #आबरू#अमानत#गिरवी #CityEvening