एक तू है, एक चाँद है एक सामने तो दूसरे की याद है चांद तो चाँदनी को देख खिला है मेरे पास तो बिन तेरे ये उदास शाम है कैसे चांद को मुस्कराता देख लू दिल तो मेरा आज भी तेरे पास है जुदाई भी बड़ी गरीब होती सिर्फ मिलन की जिसमें प्यास होती मेहबूब जब नहीं हो पास में तो फिर रात ही बदनाम होती सनम चाँदनी बन मन मेरा बहलाओ तो कह दूं चांद को अपनी चाँदनी पर इतना न इतराओ एक तू है एक चांद है