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अपने अश्कों को पिरोने बैठे थे एक रोज हम बहुत रोने

अपने अश्कों को पिरोने बैठे थे 
एक रोज हम बहुत रोने बैठे थे 
ये नदी सूखी पड़ी है बरसों से 
हम जिसमें दामन भिगोने बैठे थे #adhuraadmi
अपने अश्कों को पिरोने बैठे थे 
एक रोज हम बहुत रोने बैठे थे 
ये नदी सूखी पड़ी है बरसों से 
हम जिसमें दामन भिगोने बैठे थे #adhuraadmi