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दूरियों के दायरे ख़त्म कर, नज़दीकियों में नज़र आये..

 दूरियों के दायरे ख़त्म कर,
नज़दीकियों में नज़र आये..!

तेरी चाहत में सनम हमने,
मोहब्बत के गीत गुनगुनाये..!

सागर की लहरों के जैसी यादें,
दिल की जमीं का स्पर्श पायें..!

इश्क़ में क़ैद हुआ जो फिर,
अंतिम साँस तक साथ निभाये..!

उदास चेहरे पर थे घाव जो गहरे,
मरहम मुस्कराहट का इश्क़ लगाये..!

अस्त होते नज़र आने वाले,
उदित होकर जग में जगमगायें..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #ArabianNight #terichahatmein