हमारी सरहदों पर, इस तरह तू उत्पात ना कर, कायरों की भांति पीछे से, तू आघात ना कर। बहुत सह लिए हमने, तुम्हारा ये खूनी मंज़र, अब भी वक़्त है सम्हल जा, खुराफात ना कर। गर नहीं संभला तो, ये निश्चित तू जान ले, अपनी आकाओं को, अच्छी तरह पहचान ले, अस्तित्व खत्म हो जाएगा, बात अब तू मान ले। #PWpoDimo24 A poem writing challenge 🔥 Open for All 🔥 brought to you by Proverbs World ♥️ Dear poet, poetess! ✨