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तुम उर्दू सी हो मैं संस्कृत का श्लोक क्या मिलना हो

तुम उर्दू सी हो मैं संस्कृत का श्लोक
क्या मिलना होगा ऐसा बना कोई संयोग।
तुम मस्जिद में रहती मैं मंदिर में रहता हूं
इन दो दिवालो के नक्काशी में कुछ उल्टा सीधा मोड़।
तुम अजान हो इश्क का मै मंत्रों का जाप
तुम बिछिए पे पली बढ़ी यहां सिंदूर का ख्वाब।
क्या ये खेल है या होने वाला है
क्या हमारा मेल है या होने वाला है।
तुम बंदिशों में खिली हुई मैं भोर से उड़ा रहा।
तुम चांद को देखा करती मैं सुरज की लाली को।
अब जो होगा देखा जायेगा ना टुटेगा यह जोड़
कुछ उल्टा सीधा मोड़
कुछ उल्टा सा संयोग। संयोग
तुम उर्दू सी हो मैं संस्कृत का श्लोक
क्या मिलना होगा ऐसा बना कोई संयोग।
तुम मस्जिद में रहती मैं मंदिर में रहता हूं
इन दो दिवालो के नक्काशी में कुछ उल्टा सीधा मोड़।
तुम अजान हो इश्क का मै मंत्रों का जाप
तुम बिछिए पे पली बढ़ी यहां सिंदूर का ख्वाब।
क्या ये खेल है या होने वाला है
क्या हमारा मेल है या होने वाला है।
तुम बंदिशों में खिली हुई मैं भोर से उड़ा रहा।
तुम चांद को देखा करती मैं सुरज की लाली को।
अब जो होगा देखा जायेगा ना टुटेगा यह जोड़
कुछ उल्टा सीधा मोड़
कुछ उल्टा सा संयोग। संयोग