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सच कहूं एक झलक देखने की चाह थी मैंने तो बहुत चाहा

सच कहूं एक झलक देखने की चाह थी 
मैंने तो बहुत चाहा मगर दिल की मना थी
 शायद आज किस्मत मुझ पर मेहरबा थी  
आए भी वो बच्चों को घुमाने के बहाने
 हमने तो एक टक दीदार किया  
मगर न जाने उनकी निगाह कहां थी...
               ..           धीरज सैनी धीर...

©Direct Dil se सच कहूं एक झलक देखने की चाह थी मैंने तो बहुत चाहा मगर दिल की मना थी शायद आज किस्मत भी मुझ पर मेहरबा थी  
आए भी वो बच्चों को घुमाने के बहाने
 हमने तो एक टक दीदार किया  
मगर न जाने उनकी निगाह कहां थी...
सच कहूं एक झलक देखने की चाह थी 
मैंने तो बहुत चाहा मगर दिल की मना थी
 शायद आज किस्मत मुझ पर मेहरबा थी  
आए भी वो बच्चों को घुमाने के बहाने
 हमने तो एक टक दीदार किया  
मगर न जाने उनकी निगाह कहां थी...
               ..           धीरज सैनी धीर...

©Direct Dil se सच कहूं एक झलक देखने की चाह थी मैंने तो बहुत चाहा मगर दिल की मना थी शायद आज किस्मत भी मुझ पर मेहरबा थी  
आए भी वो बच्चों को घुमाने के बहाने
 हमने तो एक टक दीदार किया  
मगर न जाने उनकी निगाह कहां थी...

सच कहूं एक झलक देखने की चाह थी मैंने तो बहुत चाहा मगर दिल की मना थी शायद आज किस्मत भी मुझ पर मेहरबा थी आए भी वो बच्चों को घुमाने के बहाने हमने तो एक टक दीदार किया मगर न जाने उनकी निगाह कहां थी... #शायरी