#OpenPoetry अब कुछ काफिले चलते हैं मेरे साथ मुकद्दर से कह दो अकेला नहीं हूं मैं अब मेरी कलम और पन्नों का भी सहारा है उन मतलबी यारों से कह दो अकेला नहीं हूं मैं अब रातों की तन्हाई और एक कप चाय भी है झूठे उजाले दिखाने वालों से कह दो अकेला नहीं हूं मैं अब जिंदगी के हर पल और लम्हे भी साथ हैं वो बेफिजूल सी कसमो में उलझे लम्हों से कह दो अकेला नहीं हूं मैं हां अब हवाओं में दुआएं भी मशरूफ हो गई हैं वो धुल में उड़ती बेबुनियाद अफवाहो से कह दो अकेला नहीं हूं मैं हां अब अकेला नहीं हूं मैं #Haan_ab_Akela_Nahi_Hoon #Zindagi #quismat #Guru_ ki_Kalam #motivatedthoughts #poetry #bepositive