#अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस पैदा होने से पहले,गर्भ में ही मार दिया जाना, इतना आसान है क्या एक औरत हो जाना? चेहरे पर हंसी और सीने में गमों को बसाना, एक आँगन से आकर एक आँगन का हो जाना, छोटी सी आँचल में पूरी दुनिया सजाना, इतना आसान है क्या एक औरत हो जाना? पति के खाने तक भूखे रह जाना, सास-ससुर की ख़ातिर सवेरे जाग जाना, दिनभर भागकर घर के सब काम निपटाना, अपनी थकान हर किसी से छुपाना, इतना आसान है क्या एक औरत हो जाना? तबियत खराब हो मग़र चुपचाप रह जाना, हर किसी की ज़रूरत को पूरा कर जाना, बच्चों की ग़लती को अपना बताना, अपनी परेशानी को सबसे झुठलाना, इतना आसान है क्या एक औरत हो जाना? किसी की बिगड़ी तबियत पर रात भर जाग जाना, अपनी से पहले अपनों का हो जाना, एक ही देह से पत्नी,बहन,बेटी,बहु का रिश्ता निभाना, रिश्तों की ख़ातिर जीवन खपाना, इतना आसाना नहीं है एक औरत हो जाना। -प्रियजीत💞 #AWritersStory