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"जब किसी भी दर्शन या द्रष्टिकोंण (व्यवस्था) में अप

"जब किसी भी दर्शन या द्रष्टिकोंण (व्यवस्था) में अपनी मानसिक कठोरता या कमियाँ शामिल कर दी जातीं हैं तो वह #वाद बन जाता है।"
अतः
किसी भी स्थिति में उसे हूबहू अपनाते जाने की कट्टरता पर  कहीं न कहीं हर न्यायवादी, चिंतनशील व व्यवहारिक व्यक्ति को आपत्ति हो ही जाती है;
चाहे फिर वो पूंजीवाद, जातिवाद हो या फिर आदर्शवाद या व्यवहारवाद...

©Adarsh Dwivedi #मेरीकलमसे
"जब किसी भी दर्शन या द्रष्टिकोंण (व्यवस्था) में अपनी मानसिक कठोरता या कमियाँ शामिल कर दी जातीं हैं तो वह #वाद बन जाता है।"
अतः
किसी भी स्थिति में उसे हूबहू अपनाते जाने की कट्टरता पर  कहीं न कहीं हर न्यायवादी, चिंतनशील व व्यवहारिक व्यक्ति को आपत्ति हो ही जाती है;
चाहे फिर वो पूंजीवाद, जातिवाद हो या फिर आदर्शवाद या व्यवहारवाद...

©Adarsh Dwivedi #मेरीकलमसे