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adarshdwivedi1616
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Adarsh Dwivedi

स्वतंत्र लेखन-(कविता, टिप्पणी, आलोचना, निबन्ध, गजल) पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। साझा संकलन- सपने नील गगन के; संवेदना के स्वर; वृन्दा; भाव तरंगिनी आदि। Mo No- 9627564616

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Adarsh Dwivedi

राय दे  सकते हैं, अफ़सोस  जता  सकते हैं ।
साथ बस इतना ही अब लोग निभा सकते हैं।।

दुनिया भी इक जेल है जिसमें,
कुछ  जेलर हैं , कुछ  क़ैदी  हैं।

हमको दुनिया अच्छी लगती है लेकिन,
जिस दुनिया में तुम रहते हो वो वाली।।

कुर्सी से, मेज से, कभी खाली मकान से।
बातें मैं  कर रहा हूँ ,हर एक बेजुबान से।।
तुमने भी मुझे यूज किया क्या गलत किया,
हर  शख़्श  पैर  -पोंछता  है  पायदान  से।

उस तरफ मुझसे ज़ियादा ग़मज़दा बैठे हैं लोग
उनको  देखा तो  लगा  मेरा  किनारा  ठीक है!!

Sachin Agarwal  भाई साहब जी

©Adarsh Dwivedi 
  #truecolors
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Adarsh Dwivedi

जो तेरी सम्त थे कहीं पहुँचे
लोग कहते हैं वो नहीं पहुँचे

यार  हैरत  है  तुम  स याने थे
तुम भी चलते हुए यहीं पहुँचे
~अनुराग अर्श

©Adarsh Dwivedi 
  #FallAutumn
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Adarsh Dwivedi

अलबत्ता सब की महफिल में शामिल थे।
लेकिन  हम ख़ुद में ही  पूरी महफिल थे।।

अब सोचें तो ख़ुद पर गुस्सा आता है
हम जाने कैसे -कैसाें को हासिल थे।।

शाद

©Adarsh Dwivedi
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Adarsh Dwivedi

अगर आप ही जो खुद 4-4 पेंशन के साथ- साथ सपरिवार आना फ्री, जाना फ्री, रहना फ्री, खाना फ्री, शाही कपड़े फ्री, पार्लर फ्री, चिकित्सा फ्री, सुरक्षा फ्री, शिक्षा फ्री लेते हुए ---
दूसरों की सिर्फ एक #पुरानी _पेंशन (जिसमें 10% उसी के वेतन से काटना है) मिलने को बिना किसी हिचकिचाहट व शर्म के धाराप्रवाह रेवड़ी बोलेंगे तो 🤳
तो माफ करिए साहब 🙏 फिर आपके भ्रष्टाचार या तुष्टीकरण पर चैलेंज करने, स्वीकार करने में हमें आपकी ईमानदारी पर संदेह होगा ।

आदर्श द्विवेदी

©Adarsh Dwivedi 
  #OPS
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Adarsh Dwivedi

इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ,
जब मिलेगी रौशनी मुझसे मिलेगी।

( अज्ञात )

©Adarsh Dwivedi 
  #duniya
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Adarsh Dwivedi

कोई क्यों,कैसे तेरा दुख समझे,
तूने समझा नहीं किसी का दुख।।

एक इंसान ही तो मांगा था,
उसको भी मार कर दिया मुझको।।

क्यों नहीं दस्तरस में मेरे तू,
क्यों तलबगार कर दिया मुझको।।
himanshi babra

©Adarsh Dwivedi
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Adarsh Dwivedi

लोग  जाने से  रोकते  क्यूं हैं।
लोग क्यों साथ चल नहीं देते।

कनुप्रिया

©Adarsh Dwivedi
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Adarsh Dwivedi

अदब की बात है वरना 'मुनीर' सोचो तो,
जो शख्स सुनता है वो बोल भी तो सकता है
                     
~मुनीर नियाज़ी

©Adarsh Dwivedi
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Adarsh Dwivedi

उसने रक्खा है मुझे, साथ तो अपने लेकिन,
दिल ही रक्खा है मेरा, दिल में कहां रक्खा है!

uzair yousaf

©Adarsh Dwivedi
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Adarsh Dwivedi

उसकी शादी भी हो गई परसों,
मौत हमको भी 'दूसरी' आई !! 
💔 ~जंगवीर सिंह राकेश

©Adarsh Dwivedi 
  #devdas
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