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ये कैसी लत लगी है, तुम्हें मुसलसल प्यार करता रहू

ये कैसी  लत लगी है, तुम्हें मुसलसल  प्यार करता रहूँ,
तसव्वुर बस इतनी सी, तेरा हर पल  दीदार करता रहूँ।

इश्क़ तो मासूम होता है, जो निःसंदेह बदनाम होता है,
कोई यकीं करे ना करे, मैं आजीवन ऐतवार करता रहूँ।

ना हो इक पल जो दीदार तेरा, वो दिन कभी ना आए,
पल दो पल की  कौन कहे, सदियों इंतज़ार करता रहूँ। 🌀A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - 1 june शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।
ये कैसी  लत लगी है, तुम्हें मुसलसल  प्यार करता रहूँ,
तसव्वुर बस इतनी सी, तेरा हर पल  दीदार करता रहूँ।

इश्क़ तो मासूम होता है, जो निःसंदेह बदनाम होता है,
कोई यकीं करे ना करे, मैं आजीवन ऐतवार करता रहूँ।

ना हो इक पल जो दीदार तेरा, वो दिन कभी ना आए,
पल दो पल की  कौन कहे, सदियों इंतज़ार करता रहूँ। 🌀A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - 1 june शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।