अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं, जिकी पींपळा निचै लागती बे चौपाल कठै हैं। कठै गेया बे मेळ-जोळ, बे पूराणती रीत कठै हैं, पेली आळी दिवाऴी होळी, गंवरा गा गीत कठै हैं, बो पेली बरगो भाईचारो, बो मान सम्मान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। गुम गया दिखै सींगळा बादी बिलौणा आळा, अब आवै ई कठै हैं गळियां मं खिलौणा आळा, समान सागै देंता रूंगो झूंगो, बे दूकान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। सिर पर चकै लैजता बे भाता आळी परात कठै हैं, बाखळ में होतां बीस बीस मांचा बे रात कठै हैं, हां माऊ आळी कहाणीया मं हो बो ज्ञान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। सै बदळ गया आजकाल बे खाणा बाणा कठै हैं, गांता खेतां मं रामधनिया अब बिस्या गाणा कठै हैं, हारां मं सीजती बा राबड़ी, बो धान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। आथण खेतां ऊं आंता ऊंठ गाडा कोनी दैख्या, अब लोगां ग मना मं प्रेम भाव गाढ़ा कोनी दैख्या, घर घर चौधरी होग्या बे मूंछा आळा प्रधान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। आधुनिकता रो दौर हैं बिकास देख्यौ हैं मासूम, आपगी बोली, संस्कृति रो विनाश देख्यौ हैं मासूम, जामणू ई अंग्रेजी सिखा दयौ टाबर न, अरे अब आपणी मां बोली बागड़ी रो ध्यान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं॥ *पिंकी सिंवर मासूम* 🙏🙏🙏💐💐💐 ©Pinky Sinwar"Masum" *आपणी बोली आपणो माण* #lockdown2021