'विस्मृति का प्रायश्चित' आख़िरी ख़्वाहिश में भी हाथ आएगा इंतज़ार ही, झूठ से रूठने के बाद भी दिल करेगा ऐतबार ही। कितनी उम्दा और मखमली सी होती तसल्लियाँ, फिर मिलने के बाद बेक़रारी से करेगा इज़्हार ही। आराम कहाँ से आए जब आता भी नहीं है ख़याल, नाराज़ होकर भूलने से, ग़ुरूर बोलेगा इन्कार ही। साथ निभाने का वादा भुलाते हैं मजबूरी के नाम, बेफ़िक्री में नज़रअंदाज़ी से झूठ होगा इक़रार ही। बे-ख़याली के गुनाह का कैसे करें प्रायश्चित 'धुन', यूँ नज़रों में रहने के लिये फिर समझेगा प्यार ही। Rest Zone 'विस्मृति का प्रायश्चित' #restzone #rztask55 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #प्रायश्चित्त #forget