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।।ॐ ।। हुस्न के क़सीदे गढ़ती रहती हैं महफ़िलें झु

।।ॐ ।।

हुस्न के क़सीदे गढ़ती रहती हैं महफ़िलें झुर्रियाँ प्यारी लगे तब प्रेम है

©कुमार रंजीत 
  झुर्रियां..


 anurag Dubey  GuruJi "अब्र" 2.0 शिखा शर्मा Shalini