बचपने का अजब लुत्फ उठाया करता था अपने हाथाें का तितलियाें पे साया करता था उड़ा देता तितलियाें काे गर काेई दाेस्त मिरा मासूम निगहाें से रूठकर घर जाया करता था मिरे वाे दाेस्त भी थे कितने अजीब से याराें पहले रूठाता था फिर वाे मनाया करता था कहाँ से आगया छुआ-छूत अब महजब मिरा कल तलक ताे वाे एक प्लेट में खाया करता था बढ़ता गया जयूँ जयूँ बदलती गई फिजा भी कत्ल काे आमादा है वाे जाे हंसाया करता था इल्तजा यही है अब सियासत से मिरी लाैटा दिजिए बचपने के पर्व वाे जाे मिलके मैं मनाया करता था #NojotoQuote #सियासत #बचपना #कविता #धर्म #मजहब #दाेस्त #पर्व #त्याेहार #बदलाव