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आजाद परिंदा हूँ मैं, जहाँ -जहाँ जाऊँ दिल में घर कर

आजाद परिंदा हूँ मैं,
जहाँ -जहाँ जाऊँ दिल में घर कर लेती हूँ ,

दोस्तो से दिल से निभाऊ दोस्ती , गर
मैं दुश्मनों से भी यारी कर लेती हूँ....

कागज़ कलम मिल जाये अकेले, तो
कोरे कागज़ पर कुछ ना कुछ तो लिख ही लेती हूँ..

©Pinki
  #cycle
rahulrahul7008

Pinki

Bronze Star
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