कल्पना करते हुए शब्दों को पीरो कविताओं में हम प्रियंकाए बनाते रहे। चारू सुमन खिला पुष्प वर्षा कराते रहे। तरुण हो अवनीत सा जीवन बिताते रहे। बहुत विधि की किंतु सोनल निधि ना संजो सके। किससे आशा के रश्मि की उम्मीद करू। किस राह चलू कौन है सुनीता मेरा। #विधि