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मुक्तक #निमंत्रण प्यासी धरा की आकुलता, प्रेम की

मुक्तक 
#निमंत्रण

प्यासी धरा की आकुलता, प्रेम की पराकाष्ठा है।
अंत पहर की जलती लौ, इंतज़ार की परिनिष्ठा है।
विरह की मूक निमंत्रण,आकुल प्रियतम ही जाने,
मिलन की आस सजाए, विश्वास की उत्कृष्टता है।

अम्बिका मल्लिक ✍️
दरभंगा बिहार

©Ambika Mallik
  #निमंत्रण