गाँठ जीवन के हर मोड़ पर हमें पढ़ाती पाठ कभी बोझ लगती है तो कभी जरूरी गाँठ कभी भला करती सबका कभी अहित कर देती कभी छीन लेती खुशियाँ कभी दामन को भर देती कभी गाँठ बँधे जुड़ता रिश्ता कभी गाँठ पड़े तो टूटे मन में एक गाँठ जो पड़ जाए तो संग स्वजन का छूटे अच्छी बात ज्ञानी जन का कोई गाँठ यदि बाँधे कठिन लक्ष्य आसानी से वो खेल खेल में साधे क्रम से गाँठ बँधे यदि तो रस्सी को जाल बनाये करे शत्रु से रक्षा वो संकट में प्राण बचाए बेखुद गाँठ है बुरी नहीं हम बाँधें सोच समझकर वरना हम इक जाल में रह जाएंगे उलझकर ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गाँठ