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**"जनाज़े में शरीक होना भी जरूरी है, अंजाम-ए-सफर क

**"जनाज़े में शरीक होना भी जरूरी है,
अंजाम-ए-सफर का असल चेहरा वहीं नज़र आएगा।
रुख़्सत का मंजर है सच्चाई का आईना,
कंधों पर उठता जिस्म, खाली हाथ जाएगा।

उम्र भर 'मेरा-मेरा' का खेल खेला,
पर सब यहीं रह जाना, कुछ भी संग ना ले जाएगा।
कुछ अधूरी ख्वाहिशें, कुछ खामोश अफसाने,
जिनके पीछे भागा, वो यहीं रह जाएंगे पुराने।

साथ जाएगा तो बस किरदार का वो असर,
जो रह जाएगा किसी दिल में बनकर सदा एक घर।
यही है असल दौलत, यही है असल निशानी,
बाकी सब सपना है, जिंदगी बस एक कहानी।"**

©नवनीत ठाकुर #जनाजा
**"जनाज़े में शरीक होना भी जरूरी है,
अंजाम-ए-सफर का असल चेहरा वहीं नज़र आएगा।
रुख़्सत का मंजर है सच्चाई का आईना,
कंधों पर उठता जिस्म, खाली हाथ जाएगा।

उम्र भर 'मेरा-मेरा' का खेल खेला,
पर सब यहीं रह जाना, कुछ भी संग ना ले जाएगा।
कुछ अधूरी ख्वाहिशें, कुछ खामोश अफसाने,
जिनके पीछे भागा, वो यहीं रह जाएंगे पुराने।

साथ जाएगा तो बस किरदार का वो असर,
जो रह जाएगा किसी दिल में बनकर सदा एक घर।
यही है असल दौलत, यही है असल निशानी,
बाकी सब सपना है, जिंदगी बस एक कहानी।"**

©नवनीत ठाकुर #जनाजा