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मैं नहीं चाहता कोई कवि या लेखक होना मैं तो चाहता

मैं नहीं चाहता 
कोई कवि या लेखक होना

मैं तो चाहता हूँ 'प्रेमिज्म'
धर्म का अनुयायी होना

जब प्रेम नगर की गलियों में पढ़ें
सब प्रेम की आयतें

जहाँ हाँथ जोड़े प्रेमियों को मिल जाए 
प्रेम के वरदान

जहाँ माँए भेज दे अपनी संतानों को 
सहर्ष, प्रेम के मैदानों पर

नफरत से जीतकर सब बुद्ध हो जाएं... मैं नहीं चाहता कोई कवि या लेखक होना..
मैं नहीं चाहता 
कोई कवि या लेखक होना

मैं तो चाहता हूँ 'प्रेमिज्म'
धर्म का अनुयायी होना

जब प्रेम नगर की गलियों में पढ़ें
सब प्रेम की आयतें

जहाँ हाँथ जोड़े प्रेमियों को मिल जाए 
प्रेम के वरदान

जहाँ माँए भेज दे अपनी संतानों को 
सहर्ष, प्रेम के मैदानों पर

नफरत से जीतकर सब बुद्ध हो जाएं... मैं नहीं चाहता कोई कवि या लेखक होना..

मैं नहीं चाहता कोई कवि या लेखक होना.. #poem