हां याद है वो मुलाक़ात आखिरी,
थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी तकरार अपनी।।
कहता था तू कि मैं ज़िंदगी हूं तेरी,
फिर कैसे सही तूने ये जुदाई अपनी।।
रातें काटी हैं मैने यादों में तेरी,
हंसती थी जब याद आती थीं मोहब्बत अपनी।।
सारी शरारतें,सारी नादानियां तेरी, #poem#नोजोतो