" चांद नजर में वो मेरे पहलू में कब होगा , फुरकते एहसास हैं जाने मुलाकात कब होगा , रास आये अब ज़िन्दगी कुछ कमाल तो हों , हिज़्र का सफ़र ये सफ़रनामा कब तक रहे ." --- रबिन्द्र राम " चांद नजर में वो मेरे पहलू में कब होगा , फुरकते एहसास हैं जाने मुलाकात कब होगा , रास आये अब ज़िन्दगी कुछ कमाल तो हों , हिज़्र का सफ़र ये सफ़रनामा कब तक रहे ." --- रबिन्द्र राम #चांद #पहलू