कहती कफ़न बाँध कर आज,.... फिर एक लैला आई है जा तुफानो की बस्ती से ........मेरी नई साँसे लायी है पिघल रहे बादल,..... घटाओं को भी मस्ती छाई है कहती सुबह की भूली आज...... घर वापस आयी है क्या कहूँ मैं उन दीवानो को, जो उसकी याद में तड़फे रहे पर कह रही वो आज.......,उन्हें भी जहर दे आयी है किस मुँह से बोलू बात..... जो मेरे जहन में उतर आयी है कि छोड़ मैने उसे अब,..... प्रीत खुद संग लगाई है कल छोड़ा था हमें उसने कह, ..मेरे कमरों में तो मिट्टी की पुताई है आ पहुंची फिर करीब .......जो ईंटे संगमरमर की लगाई है कल कहती जो मुझे न होगी कफ़न नसीब, वो सनम बेवफा आज .......कफ़न,खुद सोने का लाई है #kaviuk01 #hindishayri #dhoka #bevfai #poetryonline #nojotohindi #loveshayri